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Sunday, April 25, 2021

उलझ गई सी है ये जिंदगी हमारी है

उलझ गई सी है ये जिंदगी हमारी है,
                   तुम्हारी याद में राते कई गुजारी है |



पुराने गांव को खेतों को छोड़ आए हम,
नदी की धार को रेतों को छोड़ आए हम |
शमा ने आंधियों से आज कर ली यारी है,
तुम्हारी याद में राते कई गुजारी है |

नहीं हो तुम तो ये शामे उदास लगती हैं,
चमकती रातें भी अब तो न खास लगती हैं |
मिलन के रात की छाई वही खुमारी है,
तुम्हारी याद में राते कई गुजारी हैं

उलझ गई सी है ये जिंदगी हमारी है,
तुम्हारी याद में राते कई गुजारे हैं |




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