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Monday, June 14, 2021

सब अभिलाषायें सुलगी सी पनघट हैं प्यासे-2 से// prem ki ek kavita // Mohabbat ke geet // Dil chhu lene wale geet // hindi kavita //

 

सब अभिलाषायें सुलगी सी पनघट हैं प्यासे-2 से,

सुध-बुध खोती तरुणाई है,मन मोर मगन मुसकाते से।

तुम इन आँखों को पढ़-2 कर मदमस्त जवानी लिख देना,

मन प्रणय अगन मे व्याकुल है तुम प्रेम कहानी लिख देना।

 


सोंधी-2 महकी-2 मन की फुलवारी लगती है,

चंदा की शीतल सी छाया बन दिल मे अगन सुलगती है।

हर रोज मचलती पुरवाई को विरह निशानी लिख देना।

मन प्रणय अगन मे व्याकुल है तुम प्रेम कहानी लिख देना।

 


प्यासे-2 सावन भादों,आँखों से रोज छलकते हैं,

अंगूरी उन्मादक चितवन से दिल हर रोज महकते हैं।

तुम प्रेम का पढ़के उपन्यास एक तड़प वीरानी लिख देना,

मन प्रणय अगन मे व्याकुल है तुम प्रेम कहानी लिख देना।

 

 

कवि शिव इलाहाबादी 'यश'

कवि एवं लेखक

मो.- 7398328084

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